फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच संघर्ष एक जटिल और लंबे समय तक चलने वाला विवाद है जिसकी जड़ें इतिहास, धर्म और राजनीति में हैं। इस संघर्ष की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में हुई, जब यहूदी ज़ायवादियों ने एक यहूदी राज्य की स्थापना के लिए फिलिस्तीन में बसना शुरू किया। यह फिलिस्तीनी अरबों के साथ संघर्ष का कारण बना, जो इस क्षेत्र को अपना घर मानते थे।
1948 में, इज़रायल राज्य की स्थापना के बाद, पहला अरब-इजरायल युद्ध हुआ। इस युद्ध के परिणामस्वरूप फिलिस्तीन का विभाजन हुआ, जिसमें इजरायल ने पश्चिमी बैंक और गाजा पट्टी को नियंत्रित किया। फिलिस्तीनी शरणार्थियों की एक बड़ी संख्या भी पैदा हुई, जो अभी भी क्षेत्र में शिविरों में रहते हैं। यह संघर्ष तब से जारी है, जिसमें कई अन्य युद्ध और हिंसक घटनाएँ हुई हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, इस संघर्ष में एक नया आयाम जुड़ गया है, एक सांस्कृतिक और सामाजिक आयाम है। इज़रायल ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर कब्ज़ा किया हुआ है, और इस व्यवसाय ने फिलिस्तीनी लोगों पर कई तरह से नकारात्मक प्रभाव डाला है। संघर्ष का यह सांस्कृतिक और सामाजिक आयाम संघर्ष को हल करना और भी कठिन बना रहा है।
फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच संघर्ष एक जटिल और लंबे समय तक चलने वाला विवाद है जिसका कोई आसान समाधान नहीं है। इस संघर्ष को हल करने के लिए दोनों पक्षों को समझौता करने और एक स्थायी शांति समझौते को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी।